Chandigarh Mayor Election: Supreme Power ने लगाई जोरदार फटकार, पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने कबूला अपना जुर्म...


विनीत द्विवेदी, ब्यूरो यूपी।

चंडीगढ़ न्यूज़। सुप्रीम कोर्ट में आज चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर सुनवाई हुई। इसके लिए पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह कोर्ट पहुंचे। पिछली सुनवाई में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ काफी नाराज हुए थे। वहीं सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से ठीक एक दिन पहले आम आदमी पार्टी के पार्षद पूनम देवी नेहा मुसावट भाजपा में शामिल हो गए एवं गुरचरण काला की घर वापसी हुई। अनिल मसीह ने माना है कि उन्होंने बैलट पेपर पर मार्क लगाया है जबकि केवल साइन करने थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह दोषी पाए गए तो कार्रवाई होगी। CJI ने हॉर्स ट्रेडिंग पर भी चिंता जताई है। 

कल फिर होनी है सुनवाई

चंडीगढ़ मेयर चुनाव में रिटर्निंग ऑफिसर रहे अनिल मसीह ने सुप्रीम कोर्ट में बैलेट पेपर पर निशान लगाना कबूल किया। अनिल मसीह के मुताबिक उसने 8 बैलेट पर X का निशान बनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने कल फिर से सुनवाई होगी। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव फिर से नहीं होगा। पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह के खिलाफ मुकदमा चलाया जाएगा

भाजपा को आम आदमी पार्टी के तीन पार्षदों को अपने यहां पर शामिल करवाने का फायदा नहीं मिला। रविवार को आम आदमी पार्टी के तीन पार्षदों को भाजपा में शामिल करवाया गया था। वहीं आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कुलदीप मेयर बनेंगे।

अनिल मसीह ने 8 वोटरों को बताया था अवैध

गौरतलब है कि 30 जनवरी को हुए मेयर चुनाव में पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने आठ पार्षदों के वोट को अवैध करार दिया था और बीजेपी के पार्षद मनोज सोनकर को मेयर की गद्दी मिली थी। इसके बाद आम आदमी पार्टी व कांग्रेस के गठबंधन ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन को भी फटकार लगाई थी।

वायरल वीडियो पर भड़क गए थे सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ 

मामले में पिछली बार हुई सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ सोशल मीडिया पर वायरल हो रही अनिल मसीह की वीडियो पर भड़क उठे थे। चीफ जस्टिस ने वीडियो देख कहा था कि यह लोकतंत्र का मजाक है, यह लोकतंत्र की हत्या है। ऐसे अधिकारी पर तो मुकदमा चलना चाहिए।

सुनवाई के दौरान सीजेआई ने रिटर्निंग ऑफिसर को लताड़ते हुए कहा कि साफ दिख रहा है कि मतपत्रों के साथ गड़बड़ी की गई। उन पर मुकदमा चलना ही चाहिए। वो कैमरे की तरफ लगातार क्यों देख रहे हैं, ये तो लोकतंत्र का मजाक है, हत्या है, हम हैरान हैं। क्या किसी रिटर्निंग ऑफिसर का ऐसा रवैया बर्दाश्त किया जा सकता है? इतना बोलने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट पर भी नाराजगी जाहिर की और दो टूक कहा कि वे सही तरह से चुनाव नहीं करवा पाए।


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