उन्नाव। उत्तर प्रदेश पुलिस हमेशा से चर्चा का विषय बनी रहती है जिसके साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयानों में भी पुलिस की कार्रवाई की सराहना की जाती है लेकिन ऐसे में उत्तर प्रदेश के लखनऊ कानपुर राजधानी मार्ग में बसा गंगा की गोद में उन्नाव जनपद, जहां पर सदर कोतवाली अंतर्गत मगरवारा चौकी में देर रात चौकी प्रांगण में मदिरा सेवन किया जाता है और न्याय मंदिर रूपी चौकी प्रांगण में पीड़ितों पर जबरन अत्याचार किया जाना शुरू हो चुका है।
स्थानीय पत्रकारों एवं लोगों की बात माने तो उनका कहना है की जब से चौकी प्रभारी का फेरबदल हुआ है तब से यहां का कुछ हाल क्या ही बताएं, लेकिन अच्छी बात है कि आज के करप्शन रेट को देखते हुए जहां उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिला का क्राइम रेट 43 प्रतिशत दर्ज किया गया था वहीं अगर अन्य चौकियों की बात कर ले तो 60% प्रतिशत भ्रष्टाचार आपको केवल मात्र मगरवारा चौकी अंतर्गत ही देखने को मिलेगा और हो भी क्यों ना, क्योंकि यह एक औद्योगिक क्षेत्र एवं ग्रामीण आबादी क्षेत्र के बीच में बना हुआ न्याय रूपी मंदिर प्रांगण है जहां पर किसी की शिकायत होती है तो वह चौकी तो जाता है परंतु कार्यवाही करने के नाम पर उससे दान दक्षिणा रूपी चंदा का प्रस्ताव रखा जाता है प्रस्ताव के पूरा न होने पर इसकी शिकायत और समस्या को ढील दे दिया जाता है।
आपको बता दें कि बीते कुछ दिनों पहले एक साधारण समस्या को लेकर एक पीड़ित अपनी समस्या के लिए चौकी गया हुआ था गलती ना होने के बावजूद भी दबाव की स्थिति बनाई गई, और कुछ दिन के बाद पीड़ित के पिता पर न्याय रूपी मंदिर प्रांगण के श्रेष्ठ सेवा सदस्यों द्वारा मदिरा सेवन के नशे में पीड़ित के पिता पर हाथ उठाने एवं अभद्र भाषा का प्रयोग किए जाने की बात सामने आई।
जब निपुण भारत समाचार की टीम ने सत्यता की जांच की तो पाया स्थानीय लोग भी इन सेवा सदस्यों से काफी हद तक परेशान हो चुके हैं एवं बताया गया कि यहां पर अगर कोई छोटा मामला होता है तो उसको बड़ा करने में देर नहीं लगती, एक पुरानी कहावत के अनुसार पुलिस स्टेशन को न्याय का मंदिर कहा जाता था जहां पर फरियादी अपनी समस्याओं से निजात पाते थे लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि मानो कलयुग में न्याय के मंदिर में समस्या सुनने वाले भगवान है ही नहीं।
डीजीपी ने दिए सख्त निर्देश
डीजीपी ने निर्देश में कहा कि मानसिक रूप से परेशान किसी भी पुलिसकर्मी को अन्य पुलिसकर्मियों के साथ शस्त्र सहित ड्यूटी न लगाई जाए तथा बंदियों के साथ भी ड्यूटी लगाने में सतर्कता बरती जाए। ड्यूटी पर लगाने से पहले आरआई द्वारा गार्ड/स्कॉर्ट की संख्या, उनकी मानसिक स्थिति, व्यक्तिगत एवं सामूहिक समस्या आदि पता कर ली जाए। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि ड्यूटी करने वाला पुलिसकर्मी नशे का आदी न हो। यदि कोई कर्मी अस्वस्थ या किसी अन्य कारण से परेशान है तो उसे ड्यूटी से हटाकर उसकी समस्या का निराकरण कराया जाए।
उच्च अधिकारियों से विचार विमर्श के बाद निकला निष्कर्ष
जब इसकी जानकारी उत्तर प्रदेश के पुलिस मुख्यालय में उपस्थित अधिकारियों से राय ली गई तो कहा गया "संबंधित प्रकरण में दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिस सेवा सदस्य ने यह कृत्य किया है, उन्हे उनकी सेवा से निवृत्त भी किया जायेगा।"
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